बस यूँ ही..........WRITINGS OF SILENCE......
Tuesday, April 10, 2012
प्रेम
दरअसल : असली प्रेम तो प्रेम में होना ही होता है, प्रेम में पढ़ना , प्रेम में गिरना , प्रेम करना इत्यादि सिर्फ उपरी सतह के प्रेम होते है . असली प्रेम तो बस प्रेम में होना , प्रेम ही हो जाना होता है .. ..प्रेम बस सिर्फ प्रेम !!
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment