दोस्तों , मैं वैसे तो तेलुगुभाषी हूँ , लेकिन हिंदी में मेरे प्राण बसते है . मैं हिंदी बोलता हूँ, हिंदी पढता हूँ , और हिंदी लिखता हूँ. और मैं ये सोचता हूँ कि आज हिंदी साहित्य में मेरी और मेरी नज्मो की कोई पहचान है तो वो सिर्फ हिंदी की वजह से ही है .. और हिंदी का ये अहसान मैं ताउम्र नहीं भूलूंगा . हिंदी को नमन. हिन्दिवासियो को नमन. भारत देश को नमन.
Wednesday, July 25, 2012
Friday, July 20, 2012
यकीन
और यकीन मानिए दोस्तों कि आज भले ही भी कितना ही बुरा क्यों न हुआ हो और आज मन में कितनी ही कड़वाहट क्यों न हो, यह ज़िंदगी चलती रहती है और आनेवाला कल पक्का खुशगवार होगा
जियो जी भर के ......
मेरे प्रिय मित्रो ,
कल मैं शाम को बहुत उदास था, राजेश खन्ना की मृत्यु के कारण . मुझे याद है , इंजीनियरिंग के पढाई के वक़्त मैं उनकी फिल्मो के गाने गाता था. लेकिन आज आनंद चला गया . लेकिन आनंद जैसे किरदार कभी नहीं मरते ..हमारे दिलो में रहते है . मैंने कल उनकी फिल्मो के गाने अपने दोस्तों को सुनाकर उन्हें श्रधांजलि दी .
कल एक बात मुझे समझ में आई कि राजेश को किसी और कारण से ज्यादा उनके अकेलेपन ने मारा है .
दोस्तों , हम सब कहीं न कहीं अकेले होते है अपनी ज़िन्दगी में. और कभी कभी ये अकेलापन हमारे दिल और दिमाग में घर बना लेता है . और तब धीरे धीरे हमें हमारा ही अकेलापन मारने लगता है . राजेश के साथ यही हुआ.
आज मैं आपसे यही कहना चाहूँगा कि अकेलेपन को घर मत बनाने दे. अपने आपको किसी भी creative skills में डुबो दे.. दुनिया आपकी है . जमीन आपकी है , आसमान आपका है . चाँद सूरज तारे और ये सुन्दर सी प्रकृति आपकी है .. बस अपने अकेलेपन को इन सब चीजो से भर दे , जो भगवान् में हमें दिया हुआ है . जीवन को भरपूर जिए .
जैसे कि राजेश खन्ना , आनंद फिल्म में कहते है कि ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए , लम्बी नहीं .. मैं भी यही बात आप सभी से कहता हूँ. जियो जी भर के .. खुशिया आपके आस पास ही है . आपके भीतर ही है.
प्रणाम
आपका सभी का
विजय
कल मैं शाम को बहुत उदास था, राजेश खन्ना की मृत्यु के कारण . मुझे याद है , इंजीनियरिंग के पढाई के वक़्त मैं उनकी फिल्मो के गाने गाता था. लेकिन आज आनंद चला गया . लेकिन आनंद जैसे किरदार कभी नहीं मरते ..हमारे दिलो में रहते है . मैंने कल उनकी फिल्मो के गाने अपने दोस्तों को सुनाकर उन्हें श्रधांजलि दी .
कल एक बात मुझे समझ में आई कि राजेश को किसी और कारण से ज्यादा उनके अकेलेपन ने मारा है .
दोस्तों , हम सब कहीं न कहीं अकेले होते है अपनी ज़िन्दगी में. और कभी कभी ये अकेलापन हमारे दिल और दिमाग में घर बना लेता है . और तब धीरे धीरे हमें हमारा ही अकेलापन मारने लगता है . राजेश के साथ यही हुआ.
आज मैं आपसे यही कहना चाहूँगा कि अकेलेपन को घर मत बनाने दे. अपने आपको किसी भी creative skills में डुबो दे.. दुनिया आपकी है . जमीन आपकी है , आसमान आपका है . चाँद सूरज तारे और ये सुन्दर सी प्रकृति आपकी है .. बस अपने अकेलेपन को इन सब चीजो से भर दे , जो भगवान् में हमें दिया हुआ है . जीवन को भरपूर जिए .
जैसे कि राजेश खन्ना , आनंद फिल्म में कहते है कि ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए , लम्बी नहीं .. मैं भी यही बात आप सभी से कहता हूँ. जियो जी भर के .. खुशिया आपके आस पास ही है . आपके भीतर ही है.
प्रणाम
आपका सभी का
विजय
Thursday, July 19, 2012
मेरा नाम
.......और मैं अब भी उस बारिश का इन्तजार कर रहा हूँ.....धुंध के बादल अब वापस जाने लगे है ... सोचते रहता हूँ. कि ....कोई किसी आसमां से मेरा नाम तो लेकर पुकारे......
.......क्योंकि अब जीवन की उदास राहे एक मरे हुए शरीर के बोझ को ढोते ढोते थक गयी है ...
.........पर एक उम्मीद है कि कोई सूरज बनकर जरुर आयेंगा !
आमीन
Wednesday, July 18, 2012
तुम बहुत याद अओंगे काका .....!
ज़िन्दगी और मौत उपरवाले के हाथ है जहाँपनाह , जिसे ना आप बदल सकते है ना में . हम सब तो रंगमंच की कटपुतलिया हैं , जिसकी डोर उपरवाले के हाथ बंधी है . कब , कौन , कैसे उठेगा , यह कोई नहीं जानता...! हा हा हा ....
बाबू मोशाय ....भले ही तुम कहो " I HATE TEARS " लेकिन आज मन में तुम्हारे लिये आंसू ही है ... तुम बहुत याद अओंगे काका .
Wednesday, July 11, 2012
प्यार
मेरे उम्र के कुछ दिन , कभी तुम्हारे साडी में अटके तो कभी तुम्हारी चुनरी में ....
कुछ राते इसी तरह से ; कभी तुम्हारे जिस्म में अटके तो कभी तुम्हारी साँसों में .....
मेरे ज़िन्दगी के लम्हे बेचारे बहुत छोटे थे.
वो अक्सर तुम्हारे होंठो पर ही रुक जाते थे.
फिर उन लम्हों के भी टुकड़े हुए हज़ार
वो हमारे सपनो में बिखर गए !
और फिर मोहब्बत के दरवेशो ने उन सपनो को बड़ी मेहनत से सहेजा . उन्हें बामुश्किल इबादत दी . और फिर अक्सर ही किसी बहती नदी के किनारे बिखेर दिए .
यूँ ही ज़िन्दगी के दास्तानों में हम नज़र आते है .. उन्ही सपनो को चुनते हुए.. अपने आंसुओ से सींचते हुए..
गर्मी के मौसम में साँसों से हवा देते हुए और सर्दियों में उन्ही साँसों से गर्माते हुए .
बारिशो में सपनो के साथ बहते हुए ..
कहानी बड़ी लम्बी है जानां ...
लेकिन मुझ में बड़ा हौसला है . कुछ खुदा का मेहर भी है
मैं हर रोज , अपनी बड़ी बेउम्मीद ज़िन्दगी से कुछ लम्हों में तुम्हारे लिए नज्मे बुनता हूँ और फिर उन्ही नज्मो के अक्षरों में तुझे तलाशता हूँ.
तुझे मेरा इकबाल करना होंगा इस हुनर के लिए जो दरवेशो ने मुझे बक्शी है ....मैं हर जन्म कुछ ऐसे ही गुजारना चाहता हूँ तेरे पलकों की छाँव में जहाँ तेरे हर अश्क में मेरी इस कहानी का अक्षर समाया हो .
हां , यही अब मेरी इल्तजा है .
और यही मेरा प्यार है तेरे लिये जानां !
हाँ !
Monday, July 9, 2012
साहिल
किसी साहिल पर मिलने का वादा करके तुम चली गयी थी .
बड़े जन्म बीत गये ...
मैं अब वही खड़ा हूँ. जहाँ तुम मुझे छोड़ गयी थी .
न वो साहिल मिला
और न ही तुम. ....!
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