दोस्तों , मैं वैसे तो तेलुगुभाषी हूँ , लेकिन हिंदी में मेरे प्राण बसते है . मैं हिंदी बोलता हूँ, हिंदी पढता हूँ , और हिंदी लिखता हूँ. और मैं ये सोचता हूँ कि आज हिंदी साहित्य में मेरी और मेरी नज्मो की कोई पहचान है तो वो सिर्फ हिंदी की वजह से ही है .. और हिंदी का ये अहसान मैं ताउम्र नहीं भूलूंगा . हिंदी को नमन. हिन्दिवासियो को नमन. भारत देश को नमन.
आप कुछ और बाद में है पहले हिन्दुस्तानी है विजय जी, और हिंदुस्तान हमेशा से हिंदी की वजह से जाना जाता रहा है और जाना जाता रहेगा|
ReplyDeleteइस देश के नाते आप भी हिन्दवासी और हिन्दी-भाषी हैं(व्यापक अर्थ में हिन्द की सभी भाषायें हिन्दी ही तो हुईँ,रूप थोड़ा भिन्न है तो क्या )- आपको भी नमन !
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