ओ री चिरैया
नन्ही सी चिड़िया
अंगना में फिर आजा रे!
ओ री चिरैया
नन्ही सी चिड़िया
अंगना में फिर आजा रे
अंधियारा हैं घना और लहू से सना
किरणों के तिनके अम्बर से चुन्न के
अंगना में फिर आजा रे
हमने तुझपे हजारो सितम हैं किए
हमने तुझपे जहान भर के ज़ुल्म किए
हमने सोचा नही
तू जो उड़ जायेगी
ये ज़मीन तेरे बिन सूनी रह जायेगी
किसके दम पे सजेगा मेरा अंगना
ओ री चिरैया, मेरी चिरैया
अंगना में फिर आजा रे
तेरे पंखों में सारे सितारे जडू
तेरी चुनर थनक सतरंगी बुनूं
तेरे काजल में मैं काली रैना भरू
तेरी मेहँदी में मैं कच्ची धूप मलू
तेरे नैनो सजा दू नया सपना
ओ री चिरैया, मेरी चिरैया
अंगना में फिर आजा रे
ओ री चिरैया
नन्ही सी चिड़िया
अंगना में फिर आजा रे
ओ री चिरैया
sketch © विजय कुमार
नज़्म © सत्यमेव जयते
बहुत सही भावनात्मक अभिव्यक्ति भारत सरकार को देश व्यवस्थित करना होगा .
ReplyDelete