एक चिट्ठी :
सुना है , कल सरहद पर चली थी गोली ,
कुछ शहीद अब भी हमें मौन से ताकते है ...
उनका कसूर क्या है दोस्त:
सियासत करने वाले कब मोल समझेंगे :
कल टीवी कह रहा था : हमारे नेता इस बात को कहेंगे
उस कहने सुनने में बरसो बीत गए ,
और हजारो शहीद हो गए .
मेरी श्रधांजलि , उन बन्दों को , जो मेरे न होते हुए भी मेरे ही है .
कल से आपकी बहुत याद आ रही है गौतम
अपना ख्याल रखना .
विजय
आपकी इस पोस्ट की चर्चा 10-01-2013 के चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteकृपया पधारें और अपने बहुमूल्य विचारों से अवगत करवाएं
निशब्द
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