Saturday, March 31, 2012

सोचता हूँ कि तुम्हारे मेरे ज़िन्दगी  में न होने से सिर्फ दुःख और खालीपन ही है ,पर ज़िन्दगी तो चल ही रही है  क्योंकि खुदा  के बनाए हुए इस निजाम में कभी भी कुछ भी नहीं रुकता है . ज़िन्दगी चलती ही रहती है .. यदि सोचना भी चाहे तो भी नहीं रूकती , सिवाय इसके कि उसके ख़त्म होने का समय आ जाये . और कभी कभी  ये भी सोचता हूँ कि खुदा की शायद यही रज़ा थी कि मैं तेरे बिना और तू मेरे बिना ही जिये . और एक दुसरे की यादो में तड़प कर जिये और मरे.... पर ज़िन्दगी का रंग भी चटक ही होता है ... क्योंकि जीना इसी का नाम है  ! पर आज फिर तेरी याद बहुत आ रही है !

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