Friday, May 18, 2012

ज़िन्दगी

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो ;
न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाए .....

----बशीर बद्र

2 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति ...

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  2. सुन्दर प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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