Monday, April 22, 2013

आदमजाद


या खुदा 
इस दुनिया के आदमजाद को अक्ल दे ,
सोच और समझ दे ;

औरते सिर्फ जिस्म  के लिए नहीं होती ;
वो भी एक औरत ही है , जिसने इस आदमजाद को जन्म दिया !

औरते है तो दुनिया है !
इस बात को मजहब की तरह माने !!

या खुदा , 
इस दुनिया के आदमजाद को ये बता ,
कि औरत का वतन सिर्फ उसका बदन ही नहीं होता ,जैसा कि सारा शगुफ्ता ने कहा था !

या खुदा , 
आदमजाद को ये बता कि जानवर से भी बदतर होते जा रहा है वो . 
कोई औरत उसकी बेटी ,बहन ,बीबी भी हो सकती है.

या खुदा 
आदमजाद को इंसान बना !!!

2 comments:

  1. सुनता नहीं वो मेरी
    जाने क्यूँ इनदिनों....
    कहते हैं जिसको खुदा
    बहरा नहीं लगता.......................?????
    :-(

    सादर
    अनु

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  2. भीतर का जानवर विकर्त रूप है, मनुष्य का
    जिसे वो ढक कर रखता है ,सभ्यता के आवरण में
    वो बाहर आता है अक्सर तब , जब होता है वो निर्बल के सामने ,तन्हाई में,क्रोध मे. इन्द्रियों के वश मे,तब वो भूल जाता है इंसानियत को, क्योकि तब वो जानवर होता है और जानवर विचार नही करते केवल आचार करते है वो भी स्वछंद ........

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