संसार की सबसे छोटी प्रेमकथा सिर्फ एक ही शब्द में कही जाती है और वो शब्द है ....... [ """""काश """"""" ]
Friday, June 29, 2012
Wednesday, June 27, 2012
आबोहवा
ज़माने की आबोहवा को लग गयी है नज़र
आजकल लोग यूँ ही बेवजह दुःख देते है ......!
...खुदा आज फिर तेरी ज़रूरत है .. आजा .....!!
Thursday, June 14, 2012
खुदा
चल आजा खुदा .
एक कौर नमक-रोटी खा ले ;
एक घूंट पानी पी ले .
पता नहीं कितने दिन हुए.... तुने खाया न होंगा .
मैं जानता हूँ न ,
तेरी दुनिया के बंदे तुझे चैन से जीने नहीं देते है !!!
Tuesday, June 12, 2012
अकेलापन
अकेलापन चुभता है किसी कैक्टस की तरह
और डसता है एक ज़हरीले नाग की तरह भी ;
भीड़ की शोर मचाती हुई तन्हाईयाँ
मन को कोई सावन नहीं दिखलाती
अकेलापन अब जीवन का बन गया है पर्याय
मृत्यु ; क्या तुम भी इतनी ही दुखदायी होंगी ?
और डसता है एक ज़हरीले नाग की तरह भी ;
भीड़ की शोर मचाती हुई तन्हाईयाँ
मन को कोई सावन नहीं दिखलाती
अकेलापन अब जीवन का बन गया है पर्याय
मृत्यु ; क्या तुम भी इतनी ही दुखदायी होंगी ?
Monday, June 11, 2012
इश्क
.......तुम्हारा मेल दोस्ती की हद को छु गया
दोस्ती मोहब्बत की हद तक गई !
मोहब्बत इश्क की हद तक !
और इश्क जूनून की हद तक !
.......अमृता प्रीतम
Sunday, June 10, 2012
फ़ासले
न होते फ़ासलों के शहर में हम,
तो फिर मिलना बहुत आसान होता |
-सरशार सिद्दीकी
Saturday, June 9, 2012
नज़्म
एक नज़्म से दूसरी नज़्म के दरमियान मैं कई जन्म जी लेता हूँ ...
सच्ची ...
हर नज़्म मेरे लिये एक नयी प्रसव पीड़ा को लेकर आती है .
और जब वो नज़्म बनती है तो मैं ऐसे खुश होता हूँ , जैसे कोई माँ अपने नवजात बच्चे को देखकर होती होंगी ......किस्से कहानिया ....नज्मे और बाते .. सब कुछ दिल से लिखता हूँ .. और शायद इसीलिए एक संजीदिगी को देखता हूँ अपनी नज्मो में ....
एक पुरजोर कोशिश अहसासों को भरने के लिये करता हूँ ..........!
Friday, June 8, 2012
जिंदगी
काश जिंदगी में एडिट आप्शन होता तो मैं अपने आपको और अपनी जिंदगी को कई बार एडिट कर चुका होता ... ... और कौन जाने कि एक सपनो से भरी बेहतर जिंदगी को जी पाता ...
कौन जाने ....!
खुदा
अभी अभी खुदा से / खुद से बाते करते हुए लिखा .....!
थक गया खुदा मैं ,
तेरे सजदे में झुक झुक कर
या तो तुम दुनिया बदल दे,
या मुझे !
और अगर हो सके तो खुद को ही बदल डाल
कि तेरी दुनिया को अब लग गयी है नज़र ,
खुदा मेरे.
Wednesday, June 6, 2012
कलम
पाकिस्थान के एक शायर मजहर -उल - इस्लाम ने कभी लिखा था :
ऐ खुदा ! अदीबो के कहानियो और कलमो में
सच्चाई , अमन और मोहब्बत उतार !
ऐ खुदा ! लालटेन की रौशनी में लिखी हुई
इस दुआ को कबूल कर !
आईये दोस्तों , हम अपनी कलम में सिर्फ दोस्ती और प्यार का रंग भरे !
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