Saturday, June 9, 2012

नज़्म

एक नज़्म से दूसरी नज़्म के दरमियान मैं कई जन्म जी लेता हूँ ...
सच्ची ...
हर नज़्म मेरे लिये एक नयी प्रसव पीड़ा को लेकर आती है .
और जब वो नज़्म बनती है तो मैं ऐसे खुश होता हूँ , जैसे कोई माँ अपने नवजात बच्चे को देखकर होती होंगी ......किस्से कहानिया ....नज्मे और बाते .. सब कुछ दिल से लिखता हूँ .. और शायद इसीलिए एक संजीदिगी को देखता हूँ अपनी नज्मो में ....

एक पुरजोर कोशिश अहसासों को भरने के लिये करता हूँ ..........!

1 comment:

  1. एक नज़्म से दूसरी नज़्म के दरमियान मैं कई जन्म जी लेता हूँ ...
    सच्ची ...
    हर नज़्म मेरे लिये एक नयी प्रसव पीड़ा को लेकर आती है .

    ReplyDelete