Tuesday, June 12, 2012

अकेलापन

अकेलापन चुभता है किसी कैक्टस  की तरह
और डसता  है एक ज़हरीले  नाग की तरह भी ;
भीड़ की शोर मचाती हुई तन्हाईयाँ
मन को कोई सावन नहीं दिखलाती
अकेलापन अब जीवन का बन गया है पर्याय
मृत्यु ; क्या तुम भी इतनी ही दुखदायी होंगी ?

1 comment:

  1. मृत्यु तो बस नाम से बदनाम है वरना सारी परेशानियों का सबब यह ज़िंदगी ही है। वो गीत है न ज़िंदगी तो बेफा है एक दिन ठुकराये गी मौत महबूबा है हँस कर गले लगाये गी....

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