Wednesday, July 18, 2012

तुम बहुत याद अओंगे काका .....!

ज़िन्दगी और मौत उपरवाले के हाथ है जहाँपनाह , जिसे ना आप बदल सकते है ना में . हम सब तो रंगमंच की कटपुतलिया हैं , जिसकी डोर उपरवाले के हाथ बंधी है . कब , कौन , कैसे उठेगा , यह कोई नहीं जानता...!   हा हा हा ....
बाबू मोशाय ....भले ही तुम कहो " I HATE TEARS " लेकिन आज मन में तुम्हारे लिये आंसू ही है ... तुम बहुत याद अओंगे काका .

2 comments:

  1. विनम्र श्रद्धांजलि!

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  2. सचमुच यादें बसी रहेगी ... श्रद्धांजलि ...

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