Friday, March 17, 2017

||| सज़दा |||

||| सज़दा |||

आज कहीं भी किसी स्त्री के साथ बलात्कार नहीं हुआ,
आज कहीं भी किसी औरत के साथ हिंसा नहीं हुई,
आज कहीं भी किसी लड़की की भ्रूण हत्या नहीं हुई,
......................................... ख़ुशी से हैरान ख़ुदा;
आज पहली बार आदमी के सज़दे में झुका हुआ है !!!

वि ज य
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मेरी हमेशा से ही ये wishful thinking रही है कि किसी रोज ऐसा कोई दिन आये, जब इस दुनिया में कहीं भी किसी भी औरत, बच्चे या बुढो के साथ कोई अत्याचार न हो , उन्हें कोई दुःख न पहुंचे, afterall वो हम आदमियों की जिम्मेदारी है . लेकिन अफ़सोस कि जब से होश संभाला है, न ऐसा कभी सुना और न ही ऐसा कभी जाना कि कभी कोई औरत या बच्चे या बुढो को इस दुनिया में कहीं कोई तकलीफ नहीं हुई हो. मेरी तो इस दुनिया के तमाम आदमियों से यही प्रार्थना है कि औरतो, बच्चो और बुढो को कभी भी किसी भी रूप में कोई तकलीफ न दे, यही हमारी सच्ची आदमियत होंगी और उस दिन वाकई दुनिया का परवरदिगार हमें सलाम करेंगा !
अमीन !!!

वि ज य

Sunday, March 12, 2017

इरोम !


इरोम !
मैं तुम्हे सलाम करू ? या दुआ करू ? या इतने बरस की तुम्हारी कुर्बानी की इबादत करू ? या फिर जिन लोगो के लिए तूमने अपनी ज़िन्दगी के १६ बरस दे दिए . और उन्होंनेतुम्हे सिर्फ 90 वोट देकर ये साबित कर दिया है कि तुम और तुम्हारी कुर्बानी उनके लिए नहीं है . यही इस banana republic की असली सच्चाई है. खैर कोई नहीं जी , अच्छा ही हुआ तुम इस गन्दी राजनीति के दलदल में नहीं फंसी . तुमे सलाम करने वालो में अभी भी बहुत से लोग है , और मुझे गर्व है कि मैं उनमें से एक हूँ.
तुम्हारा भाई
विजय


Friday, March 10, 2017

क्षितिझ

मिलना मुझे तुम उस क्षितिझ पर
जहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग में
जहाँ नीली नदी बह रही हो चुपचाप
और मैं आऊँ निशिगंधा के सफ़ेद खुशबु के साथ
और तुम पहने रहना एक सफेद साड़ी 
जो रात को सुबह बना दे इस ज़िन्दगी भर के लिए
मैं आऊंगा जरूर ।
तुम बस बता दो वो क्षितिझ है कहाँ प्रिय ।
वि ज य

Wednesday, March 8, 2017

स्त्री

स्त्री का कोई एक दिन ही नहीं होता है. मनुष्य के इतिहास में जन्म से लेकर मरण तक स्त्री की कई रूपों में भूमिका रही है और हमेशा ही रहेंगी .हर दिन ही स्त्री का है . जीवन ही स्त्री का है . स्त्री ,परमात्मा का परम अंश है . स्त्री है तो हम सब है . संसार की सभी नारियों को मेरे प्रणाम !

विजय 

Tuesday, March 7, 2017

ज़िन्दगी

विजय की सेल्फी
विजय एक बन्दर है
वो तो एक thunder है
सब कहते है कि wonder है
दिखने में वो सुन्दर है
लेकिन वो एक बन्दर है .

कविता / फोटो / बन्दर – विजय
Jokes apart , भुवनेश्वर के एक पर्वत पर मैं फोटोशूट कर रहा था तब ये महाशय मुझे दिखे , बहुत परेशान थे , मैंने इन्हें बुलाया और पानी की बोतल दी . खाने को कुछ था नहीं . फिर मैंने इन्हें पास में बिठाया और इनसे बाते करना शुरू किया . करीब दस मिनट के बाद ये रिलैक्स हो गए, पास में बैठे रहे, मेरे हाथ में हाथ डालकर. मैंने इनसे कहा कि मैं बुद्ध की शान्तिः , जीसस की गंभीरता और कृष्ण की मुक्ति की तलाश में हूँ. ये बात तक की थी , जब मुझे नर्मदा नदी के किनारे आत्म बोध नहीं हुआ था. इन महाशय ने मेरी और देखा और कहीं दूर अनंत की और देखने लगे. मैंने तब ये शूट लिया. आप इनकी आँखों में देखिये . वहां तीनों ही बाते है - बुद्ध की शान्तिः , जीसस की गंभीरता और कृष्ण की मुक्ति
मैंने बाद में बहुत सी बाते की. मैं शांत हो चूका था फिर सांझ हो गयी तो वापस लौट चला. ये बहुत दूर तक मेरा हाथ थामे चले और जब एक टर्निंग आई . जहाँ से मैं शहर के जंगल की और जाने वाला था और ये अपने जंगल के शहर में ... मुझे अचानक क्या हुआ कि मैंने इसे अपने आलिंगन में ले लिया और रो पड़ा. और फिर चल पड़ा . पीछे देखा था ये वही बैठे थे.
ज़िन्दगी कब किससे क्या सिखा दे पता ही न चले .

विजय