विजय की
सेल्फी
विजय एक बन्दर है
वो तो एक thunder है
सब कहते है कि wonder
है
दिखने में वो सुन्दर
है
लेकिन वो एक बन्दर
है .
कविता /
फोटो / बन्दर – विजय
Jokes apart , भुवनेश्वर के एक पर्वत पर मैं फोटोशूट कर रहा था तब
ये महाशय मुझे दिखे , बहुत परेशान थे , मैंने इन्हें बुलाया और पानी की बोतल दी . खाने
को कुछ था नहीं . फिर मैंने इन्हें पास में बिठाया और इनसे बाते करना शुरू किया .
करीब दस मिनट के बाद ये रिलैक्स हो गए, पास में बैठे रहे, मेरे हाथ में हाथ डालकर.
मैंने इनसे कहा कि मैं बुद्ध की शान्तिः , जीसस की गंभीरता और कृष्ण की मुक्ति की
तलाश में हूँ. ये बात तक की थी , जब मुझे नर्मदा नदी के किनारे आत्म बोध नहीं हुआ
था. इन महाशय ने मेरी और देखा और कहीं दूर अनंत की और देखने लगे. मैंने तब ये शूट
लिया. आप इनकी आँखों में देखिये . वहां तीनों ही बाते है - बुद्ध की शान्तिः ,
जीसस की गंभीरता और कृष्ण की मुक्ति
मैंने
बाद में बहुत सी बाते की. मैं शांत हो चूका था फिर सांझ हो गयी तो वापस लौट चला.
ये बहुत दूर तक मेरा हाथ थामे चले और जब एक टर्निंग आई . जहाँ से मैं शहर के जंगल
की और जाने वाला था और ये अपने जंगल के शहर में ... मुझे अचानक क्या हुआ कि मैंने
इसे अपने आलिंगन में ले लिया और रो पड़ा. और फिर चल पड़ा . पीछे देखा था ये वही बैठे
थे.
ज़िन्दगी
कब किससे क्या सिखा दे पता ही न चले .
विजय
No comments:
Post a Comment