स्त्री
का कोई एक दिन ही नहीं होता है. मनुष्य के इतिहास में जन्म से लेकर मरण तक स्त्री की
कई रूपों में भूमिका रही है और हमेशा ही रहेंगी .हर दिन ही स्त्री का है . जीवन ही
स्त्री का है . स्त्री ,परमात्मा का परम अंश है . स्त्री है तो हम सब है . संसार
की सभी नारियों को मेरे प्रणाम !
विजय
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