Sunday, June 9, 2013

मैं , शब्द , सपने और साँसे ............

मेरे और शब्दों में अब एक रिश्ता बन गया है .... 
मैं रहूँ या न भी रहूँ.....मेरे शब्द हमेशा रहेंगे ....
सच में .. 

किसी सपने में एक जोगी ने कहा था ..
कुछ नज़्म लिख लो यार 
चाँद सांसे मैं उधार दे दूंगा .. 
अब तलक उस जोगी की साँसे चल रही है ,
खुदा जाने , कब उसकी साँसे ख़त्म होंगी 
और कब मेरी कलम रुकेंगी !
खुदा जाने ...

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