Monday, December 9, 2013

सपने

सपने ज्यादा देखने चाहिए दोस्तों, क्योंकि सपनो के बुनने की गति से ज्यादा सपनो के टूटने की होती है . इसलिए चाहे जितने सपने टूटे , अंत में कुछ सपने तो बचे ही रहना चाहिए न - नयी उर्जा के लिए, नए जीवन के लिए और नए जन्म के लिए !

Monday, November 4, 2013

रूहानी रोमांस.....

दोस्तों ,

मैं अपने तमाम चाहने वालो का दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ, जो मेरे साथ मेरे साहित्यिक सफ़र में शुरू से रहे है , वो सारे ब्लॉगर मित्र , जिन्होंने मुझे अपने कमेंट्स, अपने विचार , अपनी सोच से मेरा हौसला भी बढ़ाया और मेरा मार्गदर्शन भी किया . आप सभी  के कारण ही मैं कविता से कहानी की विधा में भी प्रवेश किया है . मुझे आप सभी मित्रो का प्रेम और आशीर्वाद प्राप्त है . और साथ ही ईश्वर की कृपादृष्टि से मेरे समय के कुछ महान साहित्यका , जैसे हिमांशु जोशी, प्राण शर्मा , इमरोज़ तथा देश –विदेश में बसे कई साहित्यकार भी मुझे और मेरे लेखन को पसंद करते है .मैं इसे भगवान का प्रसाद ही समझता हूँ कि जिन्हें मैं कभी पढता था; वही सद्गुरु आज मेरी कविताएं और मेरी कहानियो को पसंद करते है . मैं घुटनों के बल बैठकर इन सभी ब्लॉगर और साहित्यकारो को धन्यवाद देता हूँ .

लेकिन दो दिन पहले एक कमेंट मिला, मेरी कहानी आंठ्वी सीढ़ी पर. और जब मैंने उसे पढ़ा तो थोडा चौंका, वहाँ लिखा था, “Please see my blog for reply ” मैं उस ब्लॉग पर पहुंचा तो वहां ये कमेंट था “Vijayaji. I liked reading your story. Your main character is a little too bhavuk for my taste, but her sorrow and loss is legitimate. Looking forward to seeing more of your writing.”

मैंने ध्यान से पढ़ा तो देखा, ये कमेंट उषा प्रियवंदा जी ने दिया था . जी हां वही उषा प्रियवंदा जी , जिनके उपन्यास “ पचपन खम्बे लाल दीवारें “ ने मुझे पागल सा कर दिया था और मैं बाद में जब उसे दूरदर्शन पर देखा तो और पागल हो गया था. मीता वशिष्ठ की अदाकारी में पता नहीं क्या बात थी .मन कुछ विचलित सा हो गया था . मैंने तब ये प्रण किया था अपने आप से कि अगर कभी लिखूंगा तो अपनी कविताओ में और अपनी कहानियो में इसी तरह का रूहानी रोमांस को डालूँगा. और मैंने वही किया भी और पिछले पांच सालो से मेरी नज्मे और अब कहानियो में यही रूहानी रोमांस दिखाई पड़ता है. उन्होंने और से लिखा “Agar dil meN chaah hai to aisa hi hoga. Likhate rahiye. Aapka apna syle hai.”

जाने अनजाने में गुरु द्रोणाचार्य बने उषा जी को मेरा प्रणाम .
और अपने आप से ये वादा कि और लिखूंगा ! बेहतर ! और आप सभी के लिए लिखूंगा!

आपका अपना
विजय


Friday, August 30, 2013

“” विचार कभी नहीं मरते !””




एक श्रद्दांजलि श्री नरेन्द्र दाभोलकर जी को !!

दोस्तों , बहुत कम ऐसा होता है कि समाज में किसी एक मोहिम के लिए ,कोई एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में एक उदाहरण बन जाता है , मैं ऐसे ही एक व्यक्ति श्री नरेन्द्र दाभोलकर जी के बारे में अपनी बात रखना चाहता हूँ. 

दोस्तों , डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर का जन्म 1.11.1945 में महाराष्ट्र के सातारा ज़िले में हुआ था . एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सामाजिक कार्यों में ख़ुद को झोंक दिया. सन् 1982 से वे अंधविश्वास निर्मूलन आंदोलन के पूर्णकालीन कार्यकर्ता थे. सन् 1989 में उन्होंने महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिती की स्थापना की. तब से वे समिति के कार्याध्यक्ष थे. इस संगठन की महाराष्ट्र में लगभग 200 शाखाएं हैं.

उन्होंने एक विचार का आह्वान किया , वो विचार था : अंधश्रद्धा का निर्मूलन. इन्होने तथा इनके संगठन ने धर्म के नाम पर होने वाले कई अंधश्रद्धाओ का भांडा फोड़ा . मुझे अच्छी तरह से याद है कि नागपुर में उन दिनों कई बार मैंने इस संगठनो के द्वारा आयोजित सभाओं में भाग लिया था और उन दिनों ये जादूगरों की मदद से अंधश्रद्दा का निर्मूलन करते थे. 

हमारे देश में आज भी कई जगह ख़ास करके गाँवों में अंधश्रद्धा छाई हुई है . गाँवों में आज भी जादू टोना ,टोटका इत्यादि के नाम पर हत्याए होती है . गड़े हुए धन की प्राप्ति के नाम पर हत्याए होती है . डायन होने के शक में लोग आज भी औरतो को बेइज्जत करते है . जहाँ देश एक ओर प्रगति के पथ पर है वही दूसरी ओर आज भी इन्ही सब बातो के कारण हम आज भी पिछड़े हुए है .
अपने जीवनकाल में डॉ. दाभोलकर ने कई पुस्तकों लिखी , मुख्यतः ऐसे कैसे झाले भोंदू (ऐसे कैसे बने पोंगा पंडित), अंधश्रद्धा विनाशाय, अंधश्रद्धा: प्रश्नचिन्ह आणि पूर्णविराम(अंधविश्वास: प्रश्नचिन्ह और पूर्णविराम), भ्रम आणि निरास, प्रश्न मनाचे (सवाल मन के) इत्यादि पुस्तके उनमें सम्मिलित है. इन किताबो में उन्होंने ऐसी कई बातो का उल्लेख किया है , जिनकी वजह से अंधश्रद्धा छाई हुई है . और उन अन्धश्रद्दा का कैसे निर्मूलन करे इस बारे में भी बताया है .

डॉ. दाभोलकर का कहना था , "मुझे मजबूरीवश आस्था रखनेवालों से कोई आपत्ति नहीं है. मेरी आपत्ति है दूसरों की मजबुरियों का ग़लत फ़ायदा उठानेवालों से."

डॉ. दाभोलकर ने  कई तरह से अलग अलग उदाहरण देकर लोगो में छाया हुआ अंधविश्वास को दूर करने की एक कामयाब कोशिश की है . उन्होंने संतो का उदाहरण दिया , जादूगरों का उल्लेख किया तथा ऐसे कई तरह से लोगो में खासकर के ग्रामीण लोगो में छाये हुए अंधविश्वास को दूर किया. 

उन्होंने जो विचार इस समाज को दिया है , वो कभी भी नहीं ख़त्म होने वाला है . आईये , हम एक छोटा सा प्रण करे कि अपने अपने दायित्व में अपने आसपास की दुनिया में छाये हुए इस अंधविश्वास  की दुनिया को ख़त्म करने में अपना सहयोग देंगे . हमारा यही सहयोग डॉ. नरेन्द्र दाभोलकर के विचार को हमेशा जीवित रखेंगा . 

दिवगंत आत्मा को प्रणाम !

विजय कुमार सप्पत्ति


Tuesday, August 20, 2013

प्रेम की राह

कभी कभी जीतना ज्यादा जरुरी नही होता है ...
जीना भी आना चाहिए ;
और अक्सर प्रेम की राह पर जीते हुए हारा जाता है .
हां ! सच्ची ! तुम्हारी कसम !!!

Monday, August 5, 2013

फासला

कभी कभी बीच का फासला एक जमीन से एक आसमान की दूरी पर हो जाता है  / बन जाता है . और कई जन्म इस फासले को तय करने में कम पड़ते है . कभी हम जमीन पर खड़े नज़र आते है और कभी वो आसमान /फलक पर सितारे बन उड़ते है ......और ये बेमज़ा ज़िन्दगी यूँ ही बस कट जाती है ......

Friday, August 2, 2013

प्रेम

प्रेम हमेशा ही अधुरा होता है . जिसे हम पूर्णता समझते है  , वो कभी भी प्रेम नहीं हो सकता . प्रेम का कैनवास इतना बड़ा होता है कि एक ज़िन्दगी भी उसमे समा नहीं जा सकती है . इसी ज़िन्दगी और प्रेम के युद्ध में अक्सर ही ज़िन्दगी की जीत [ ? ] होती है .   और प्रेम की हार [ ? ] - प्रश्न चिन्ह इसलिए है कि , हार -जीत की परिभाषा हम सब के लिए इस विषय में अलग अलग होती है . 

प्रेम -एक जीवन में जिया गया सबसे खूबसूरत अनुभव होता है . 

Saturday, July 27, 2013

एक बेहतर दुनिया

दोस्तों ;

सारी दुनिया दो हिस्सों में बंटी हुई है . एक बड़े हिस्से के लोगो की ये समस्या है कि वो क्या खाए ,क्योंकि उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं है , पैसो के नहीं होने के कारण ! दुसरे छोटे हिस्से के लोगो की भी ये समस्या है कि वो क्या खाए ,क्योंकि उनके पास बहुत से विकल्प मौजूद है , पैसो के ज्यादा मात्र में होने के कारण !

दुनिया के इस घोर दुर्भाग्य के कारण मैं अपने आपको बहुत असहाय महसूस करता हूँ. आधी से ज्यादा दुनिया के लोग ; न ठीक से खा सकते है , न रहने को घर है और न ही कोई और मूलभूत सुविधाए उनके पास है !

एक रास्ता ये हो सकता है कि ; काश वो भाग्यशाली लोग - जिनके पास जरुरत से ज्यादा पैसा है , वो पूजा के स्थलों को दान देने के बजाय इन unfortunate  इंसानों के लिए कुछ करते तो यही ईश्वर के प्रति सच्ची श्रद्धा होती .

बस एक बेहतर दुनिया के लिए प्रार्थना ही कर सकता हूँ मैं .

अमीन

विजय

Sunday, June 9, 2013

मैं , शब्द , सपने और साँसे ............

मेरे और शब्दों में अब एक रिश्ता बन गया है .... 
मैं रहूँ या न भी रहूँ.....मेरे शब्द हमेशा रहेंगे ....
सच में .. 

किसी सपने में एक जोगी ने कहा था ..
कुछ नज़्म लिख लो यार 
चाँद सांसे मैं उधार दे दूंगा .. 
अब तलक उस जोगी की साँसे चल रही है ,
खुदा जाने , कब उसकी साँसे ख़त्म होंगी 
और कब मेरी कलम रुकेंगी !
खुदा जाने ...

Sunday, May 12, 2013

अम्मा !



अम्मा !
तेरा मुझ में अब तक बहुत कुछ बाकी है माँ.
प्यार , ममता ,क्षमा और ज़िन्दगी की छाँव !!
नमन !

Friday, May 10, 2013

प्रेम



प्रेम अलग है , जीवन अलग है , समाज अलग है , प्रेम इन सब बातो से परे है , ऊपर है . सर्वोच्च है . प्रेम की अपनी ही बानगी है और अपना ही एक अलग जीवन , प्रेम इस समाज से परे एक और नए समाज में जीता है . प्रेम की असफलता के कई कारण हो सकते है , पर प्रेम के होने का एक ही कारण है और वो होता है सिर्फ प्रेम... और संसार की प्रेम कहानिया गवाह है की , प्रेम ने समाज को अपना नहीं समझा और समाज ने भी प्रेम को नहीं अपनाया .... लेकिन प्रेम की सफलता या असफलता ही ज़िन्दगी का जीने का आसरा बनता है .. ऐसा मेरा मानना है .

Wednesday, April 24, 2013

समाज



दोस्तों , समस्या समाज की है . 

समाज में जो एक अजीब सी कुंठा , विकृति , और रोगी मानसिकता है , उसका इलाज करना है , और ये संभव होंगा . अपने आसपास के परिवेश को एक नयी नज़र से देखने से. और साथ में ही , समाज सुधारको को आगे आकर इन कुंठाओं को समाप्त करने की कोशिश करनी चाहिए . 

ये बहुत आश्चर्य की बात है , कि जिस देश ने कामसूत्र को निर्माण किया वहां इस तरह की विकृति बसी हुई है और बीते बरसो में ये विकृति बढ़ी ही है . और इसका मुख्य कारण openness to internet for various obscene sites , extreme advertisements and skinny roles of woman in our films.

कल एक मित्र से बात हो रही थी, उसने कहा कि अगर इस देश में prostitution को legal कर दिया जाए तो , जो instant physical urge होती है / होंगी , उसे address किया जा सकेंगा . और इससे ये होंगा कि जो soft targets इन वहशियों का शिकार बन रहे है , उन हादसों में कमी आएँगी. 

एक दूसरा मित्र ने कहा कि इन गुनाहगारो को अगर खुलेआम फांसी दिया जाए और उसे हर में broadcast किया जाए तो दुसरे लोगो में एक डर का माहौल बनेंगा और दुसरे लोग इस तरह के कार्य करने से पहले सोचेंगे.

हमें स्कूल और कॉलेज में लडकियों के लिए martial arts  को जरुरी बनाना होंगा. इन जानवरों से बचने के उपाय खोजने होंगे . खुद की रक्षा अब खुद ही करना होंगा .

जो भी हो , इस देश को बदलना होंगा . और social networking के जरिये हम सब बहुत बड़ा impact इस society में create कर सकते है . 

आपके विचारों का स्वागत है मित्रो. [ कृपया शब्दों की मर्यादा बरते ] 
धन्यवाद 
विजय

Monday, April 22, 2013

आदमजाद


या खुदा 
इस दुनिया के आदमजाद को अक्ल दे ,
सोच और समझ दे ;

औरते सिर्फ जिस्म  के लिए नहीं होती ;
वो भी एक औरत ही है , जिसने इस आदमजाद को जन्म दिया !

औरते है तो दुनिया है !
इस बात को मजहब की तरह माने !!

या खुदा , 
इस दुनिया के आदमजाद को ये बता ,
कि औरत का वतन सिर्फ उसका बदन ही नहीं होता ,जैसा कि सारा शगुफ्ता ने कहा था !

या खुदा , 
आदमजाद को ये बता कि जानवर से भी बदतर होते जा रहा है वो . 
कोई औरत उसकी बेटी ,बहन ,बीबी भी हो सकती है.

या खुदा 
आदमजाद को इंसान बना !!!

Sunday, April 21, 2013

नैतिक मूल्य


दोस्तों , मुझे तो समझ में नहीं आता कि हम किस तरह के sick society में जी रहे है. आखिरकार , हमें हो क्या गया है , क्या हमारे नैतिक मूल्य इतने नीचे गिर गए है .एक छोटी सी बच्ची ! 
मुझे याद नहीं आता है कि पिछले १५-२० सालो में हमने  इस तरह की हैवानियत नहीं देखि है ... बीतते समय के साथ हम जानवर से भी बदतर होते जा रहे है. 
समय तो आ गया है की , हम खुद ही  प्रचार प्रसार करके इस system  को बदले. 
ईश्वर उस बच्ची को जीने की ताक़त दे. 
अमीन !!!

Wednesday, April 10, 2013

ये दिन भी गुजर जायेंगे ...


दोस्तों , अगर कोई मुश्किल दौर से गुजर रहे है तो बस इतना सा यकीन रखे ... कि ये दिन भी गुजर जायेंगे ... [  this shall too pass ....as they say ]  बस ज़िन्दगी और अपने इश्वर पर भरोसा रखे ... मैं दिल से आप सभी के लिए प्रार्थना करता हूँ .
आपका अपना
विजय

Saturday, March 23, 2013

शहादत


बहुत बरस हुए .... कुछ बावरे युवाओ ने आज के दिन , इस देश के लिए फांसी को चुना !  वैसे वो काल अलग था . लेकिन आज भी वही युग है . बस कुछ नहीं है तो वो जज्बा जो देश के लिए उस वक़्त के युवाओ में था.......


भगतसिंग ने अपनी जेल डायरी में लिखा था , ‘‘तुझे जिबह करने की खुशी और मुझे मरने का शौक है मेरी भी मर्जी वही जो मेरे सैयाद की है...’’

देश के आजाद होने से लेकर आज तक की पूरी सामाजिक प्रक्रिया में बहुत से बदलाव आये है . लेकिन देश , अफ़सोस कि , नहीं  बदल सका.  कहीं तो कोई चूक हुई है  .. चाहे वो हुक्मरानों से  हुई हो या फिर इस देश की दो पीढ़ीयों से .

पता नहीं ....दिल में बड़ा दर्द होता है ...... ये सोचकर कि , कहीं उनकी शहादत बेवजह तो नहीं हुई...!!



Sunday, March 3, 2013

काश

ये जो काश है न , वो दुनिया को हमेशा दो टुकडो में बाँट देता है .. क्या करे.. कुछ भी समझ नहीं आता है .. बस ईश्वर से एक प्रार्थना है कि वो दुनिया के दुसरे हिस्से के बन्दों को और मजबूती दे.

Saturday, March 2, 2013

बेवफाई

बात सिर्फ मोहब्बत की होती तो कुछ और बात थी.. 
चर्चे तेरी बेवफाई के हर गली ,हर द्वारे हो गए ..
अपने इश्क का कुछ ऐसा इनाम मिलेंगा , 
मुझे मालुम न था.. 
कि लोग तुझे बेवफा कहते है 
और मुझ पर हँसते है !!!!

Friday, March 1, 2013

रंगरेज


खुदा से बड़ा रंगरेज कोई दूसरा नहीं है यारो...  वो  किसे क्या देता है . क्यों देता है . कब देता है . किसलिए देता है ..... ये उसके सिवा कोई न जाने ... रब ही जाने ..मोहब्बत कुछ ऐसी ही नेमत है उस खुदा की .. !!!!

Wednesday, February 20, 2013

मोहब्बत

खानाबदोश हूँ यारो .....
हर्फ़ है मोहब्बत के मेरी पोटली में .... 
कुछ तुम ले लो ...कुछ बाँट लो ..
इस फानी दुनिया को मोहब्बत की बड़ी दरकार है !!! 
सच !

Tuesday, February 19, 2013

प्रेम




जब आप प्रेम में होते है तो आपको पता चलता है कि आप एक ज़िन्दगी भी जी रहे है ..... ज़िन्दगी ; परत दर परत ज़िन्दगी के रहस्य खोलती है . जिसे आप सिर्फ प्रेम ही समझते है और प्रेम में ही जीते है .... और ऐसा जादू सिर्फ और सिर्फ प्रेम में ही होता है .....!!!

Sunday, February 10, 2013

प्रेमपत्र नंबर : 61612




मेरी जानां ;

मैंने अब तक के किसी भी ख़त में उन फूलो का ज़िक्र नहीं किया , जो तुम और मैं एक दुसरे के लिए लेकर आते थे .....

....पता नहीं वो फूल अब किस जगह दफ़न होंगे , लेकिन जब तक वो रहे उन्होंने खुशबू दी , हमारे इश्क की !!

और सारा जहाँ [ हमारा ] महकता रहा ....उन्होंने हर कोने को अपनी उस खुशबु से महकाया ... कभी मुझे , कभी तुझे, .. हर जगह ..सिर्फ हमारा इश्क ही खिलता और महकता रहा है . 

....आज यूँ ही सोच रहा था कि फूलो का जब भी इतिहास बनेंगा ,तो उस इतिहास में कुछ हर्फ़ ,कुछ अक्षर जरुर हमारे फूलो के लिए  भी होंगे ...है न .

पता है तुम्हे जब पाब्लो नेरुदा को इटली से रोम ले जाया रहा था , तब वहां के लोगो ने फूलो से उस बात का विरोध किया और फूल जीत गए . ..

उन फूलो को ,उनकी खुशबु को आज मैं सलाम करता हूँ.

विजय

Saturday, January 12, 2013

स्वामी विवेकानंद




कविता : स्वामी विवेकानंद

आज भी परिभाषित है
उसकी ओज भरी वाणी से
निकले हुए वचन ;
जिसका नाम था विवेकानंद !

उठो ,जागो , सिंहो ;
यही कहा था कई सदियाँ पहले
उस महान साधू ने ,
जिसका नाम था विवेकानंद !

तब तक न रुको ,
जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो ...
कहा था उस विद्वान ने ;
जिसका नाम था विवेकानंद !

सोचो तो तुम कमजोर बनोंगे ;
सोचो तो तुम महान बनोंगे ;
कहा था उस परम ज्ञानी ने
जिसका नाम था विवेकानंद !

दूसरो के लिए ही जीना है
अपने लिए जीना पशु जीवन है
जिस स्वामी ने हमें कहा था ,
उसका नाम था विवेकानंद !

जिसने हमें समझाया था की
ईश्वर हमारे भीतर ही है ,
और इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है
उसका नाम था विवेकानंद !

आओ मित्रो , हम एक हो ;
और अपनी दुर्बलता से दूर हो ,
हम सब मिलकर ; एक नए समाज ,
एक नए भारत का निर्माण करे !
यही हमारा सच्चा नमन होंगा ;
भारत के उस महान संत को ;
जिसका नाम था स्वामी विवेकानंद !!!

Friday, January 11, 2013

मेरी दुनिया


मेरी दुनिया का कुछ हाल ऐसा है दोस्तों ;
कुत्ते स्वेटर पहनते है 
और 
इंसान चीथड़े ओढ़ते है ...!

Wednesday, January 9, 2013

एक चिट्ठी :




एक चिट्ठी : 

सुना है , कल सरहद पर चली थी गोली , 
कुछ शहीद अब भी हमें मौन से ताकते है ...
उनका कसूर क्या है दोस्त: 
सियासत करने वाले कब मोल समझेंगे :
कल टीवी कह रहा था : हमारे नेता इस बात को कहेंगे 
उस कहने सुनने में बरसो बीत गए , 
और हजारो शहीद हो गए . 
मेरी श्रधांजलि , उन बन्दों को , जो मेरे न होते हुए भी मेरे ही है . 
कल से आपकी बहुत याद आ रही है गौतम 
अपना ख्याल रखना .

विजय 

Sunday, January 6, 2013

तुम न होती तो ..




तुम न होती तो ...मुझे कभी भी मौसम समझ में नहीं आते .
न फूल , न रंग , न ही हवा और न ही बारिश 
और हाँ न , न ही उदासी , जो तुम्हारे नहीं होने की वजह से है . 
तुम न होती तो न मुझे प्यार समझ आता और न ही बेवफाई ...
खुदा तुझे खुश रक्खे .....!


Thursday, January 3, 2013

रिश्ते .............!!!!

रिश्तो में थोडा सा gap बनाकर रखो , हो सकता है , कभी भर जाए , कौन जाने .